हे सभी वरहिया जैनों से ,मेरा विनम्र अनुरोध
जितना संभव हो,नहीं करें आपस में वैर-विरोध |
कर लें चिड़ियाँ भी एका यदि ,लें खींच शेर की खाल
मोटी लकड़ी को तो कोई ,चाहे सकता हो तोड़
तिनके हों अगर इकट्ठे तो होते अटूट ,बेजोड़ |
शक्ति है बहुत संगठन में ,सामूहिकता में बल है
संगठित रहेंगे जो भी ,उन सबका भविष्य उज्ज्वल है |
जो लोग सभी को साथ-साथ लेकर आगे बढ़ाते हैं
वे ही असली जननायक हैं ,वे ही भविष्य गढ़ते हैं ||
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