मंगलवार, 10 सितंबर 2013

एकता का बल

हे सभी वरहिया जैनों से ,मेरा विनम्र अनुरोध 
जितना संभव हो,नहीं करें आपस में वैर-विरोध |
कर लें चिड़ियाँ भी एका यदि ,लें खींच शेर की खाल
चल पड़ें कदम सब एक साथ ,आ जाते हैं भूचाल |
मोटी लकड़ी को तो कोई ,चाहे सकता हो तोड़ 
तिनके हों अगर इकट्ठे तो होते अटूट ,बेजोड़ |
शक्ति है बहुत संगठन में ,सामूहिकता में बल है 
संगठित रहेंगे जो भी ,उन सबका भविष्य उज्ज्वल है |
जो लोग सभी को साथ-साथ लेकर आगे बढ़ाते हैं 
वे ही असली जननायक हैं ,वे ही भविष्य गढ़ते हैं ||

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