गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

वरहिया जैन समाज के गौरव : पं.मोहनलाल जैन

पंडित मोहन लाल जैन ,जो पं. मिहीलाल जैन के नाम से भी ख्यात रहे हैं - का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी वि.संवत 1976 में ग्राम आमोल, जिला शिवपुरी में हुआ |आपके पिता श्री गंगाराम जी वरहिया अत्यंत विनम्र और सरल स्वभावी व्यक्ति थे |
                                            आपने जैन धर्म का अध्ययन मगरौनी में पंडित कामता प्रसाद जी शास्त्री बनारस वालों के सानिध्य में रह कर किया |आप अत्यंत कुशाग्र बुद्धि थे और सहजता से गूढ़ विषयों को हृदयंगम कर लेते थे |आपकी प्रेरणा से ही मगरौनी में प्रथम जैन पाठशाला की स्थापना हुई |बचपन से ही अध्यात्म के प्रति आपके मन में गहरी रूचि रही और अंततः वह उनके जीवन का स्थायी भाव बन गई |संगीत के प्रति भी किशोरावस्था से ही आपके मन में गहरा अनुराग रहा और जो आजीवन अक्षुण्ण बना रहा |
                                                                                                                                  आपने मोक्षशास्त्र ,रत्नकरंड श्रावकाचार ,द्रव्यसंग्रह ,छहढाला  प्रभृति अनेक जैन ग्रंथों का अध्ययन-पारायण किया और शोलापुर (महाराष्ट्र )से उनकी परीक्षा उत्तीर्ण की |आपकी व्याख्यान शैली अत्यंत सुबोध और हृदयग्राही थी |आप गूढ़ से गूढ़ विषयों को सरलता से प्रस्तुत कर हस्तामलकवत स्पष्ट कर देते थे |
                                                                                                       आपका विवाह श्रीमती गौराबाई के साथ हुआ ,जो अत्यंत सुशील और धार्मिक स्वभाव की महिला थीं |जिनसे आपको दो पुत्र प्राप्त हुए |आपके जीवन का अधिकांश समय सत्संग में व्यतीत हुआ |आपने दर्जनों धार्मिक नाटक लिखे और उनका सफल मंचन कराया |आपके लिखे मौलिक भजन ,जिनकी आध्यात्मिक छटा दर्शनीय है-भी दर्जनों की संख्या में हैं |ये सभी रचनाएँ अप्रकाशित हैं ,जिन्हें सहेजने की आवश्यकता है |
                                                                      आपका निधन 3 जून 1986 को मुरैना में हुआ |             

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