बुधवार, 19 फ़रवरी 2014

वरहिया जैन समाज के गौरव : राजमल वरैया


म.प्र. के रतलाम जिले में स्थित जावरा, मालवांचल का एक प्रमुख क़स्बा है |सम्प्रति यही क़स्बा श्री राजमल जी वरैया का गृहनगर है |जावरा में राजमल जी वरैया किसी परिचय के मोहताज़ नहीं हैं | आपके पिता भंडारी गौत्रोत्पन्न श्री मुन्नालाल जी वरहिया मुरैना जिले के सुमावली ग्राम के निवासी थे जो कालांतर में आजीविका की तलाश में इंदौर आये और वहां कुछ दिन निवास करने के पश्चात् रतलाम जिले के जावरा कस्बे में स्थायी रूप से बस गए |यहीं पर राजमल जी का जन्म और लालन-पालन हुआ |भले ही आपने औपचारिक रूप से माध्यमिक स्तर तक ही शिक्षा प्राप्त की लेकिन स्वाध्याय मनन में वे आजीवन संलग्न रहे हैं |
                                                                                                                                         प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी ,सरल-चित्त श्री राजमल जी वरैया की एक अग्रणी समाजसेवी के रूप में पहचान रही है |आपका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ गहरा जुड़ाव रहा है | जावरा शहर में भारतीय जनसंघ के पुरस्कर्ताओं में आपका नाम शीर्ष पर आता है | आप मालवांचल की अनेक सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं से सम्बद्ध रहे हैं | आपके व्यक्तित्व में एक चुम्बकीय आकर्षण है जिसके कारण आपके संपर्क में आने वाला हर व्यक्ति आपसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता |आपकी आतिथ्यप्रियता का लोग उदहारण देते हैं | मुझे भी उनका सानिध्य और सौजन्य प्राप्त हुआ है |उनकी सरलता और गाम्भीर्य से कोई भी अभिभूत हो जाता है |ऊँचे लम्बे कद काठी और सौम्य व्यक्तित्व के धनी श्री राजमल जी वरैया एक जुझारू राजनीतिक कार्यकर्ता और सहृदय समाजसेवी हैं |उनकी यह सक्रियता आज भी कायम है |उनका मालवांचल में बहुत बहुमान है | उनका संघर्षों से भरा कर्मठ जीवन युवाओं के लिए एक प्रेरणा है |

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