ओ स्यादवाद-सिद्धांत -निलय
ओ विद्यावारिधि अति अगाध |
वादीभकेशरी ओ दिग्गज
विद्वान्-शिरोमणि !निर्विवाद ||
ओ कर्मठ त्यागी ! ओ नैष्ठिक
ओ कुशल प्रवक्ता ! पत्रकार !
ओ सफल सुलेखक !अध्यापक !
युगनिर्माता साहित्यकार ||
ओ जैन वांग्मय के शोधक
अनुशीलनकर्ता ज्ञानवान |
तुम परम संस्कृत भट्टारक
थे सहृदयी भावुक महान ||
ओ महामना !प्रतिभाशाली !
स्तम्भ जैन संस्कृति विशाल |
ओ परम दार्शनिक! सत्यनिष्ठ !
जिनवाणी सेवक !विशदभाल ||
मोरेना-संस्कृत-विद्यालय -
संस्थापक तुम ही दृढ़ प्रतिज्ञ !
दिन रात गा रहे यशोगान
स्नातक निकले जो परम विज्ञ ||
ओ सरस्वती के वरद पुत्र !
ओ शास्त्रार्थ -विजयी महान |
ओ सफल समालोचक सेवक
निर्लोभी विजयी क्रोध मान ||
ओ न्याय तर्क के वाचस्पति !
ओ चोटी के विद्वान् एक !
अमृतमय वाणी सींच -सींच
पाया है तुमने सद्विवेक ||
हित-मित-प्रियभाषी !निडर धीर
चारित्र मूर्ति , गौरव -निधान !
निष्कपट दुराग्रह सदा त्याग
अपनाया तुमने पथ महान ||
तुम निरभिमान पाखण्ड हीन
इन्द्रियजेता कर्तव्यनिष्ठ !
सिद्धांत पक्ष के प्रतिपादक
निष्पक्ष समीक्षक गुणगरिष्ठ ||
ओ मार्ग प्रदर्शक विद्ज्जन !
ओ अग्रगणी नेता समाज
गोपालदास गुरुवर्य श्रेष्ठ !
श्रद्धांजलि अर्पण तुम्हें आज ||
---- रचयिता श्री अनूपचंद न्यायतीर्थ ,साहित्यरत्न (जयपुर)
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