मंगलवार, 26 दिसंबर 2017

वरिष्ठ समाजसेवी श्रीमान शीतल प्रसाद जैन


बृहत्तर ग्वालियर के जैन समाज द्वारा "जैन समाज रत्न "सम्मान  से विभूषित श्रीमान शीतल प्रसाद जैन आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं |उम्र के इस पड़ाव पर भी उनका जीवट और सक्रियता हम युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है|आप गुलिया गोत्रोत्पन्न शमसाबाद निवासी श्रीमान गुलाबचंद जी वरहिया के आँगन की किलकारी हैं |आपकी जन्मस्थली तो शमसाबाद (उ.प्र .) है लेकिन कर्मस्थली ग्वालियर (म .प्र.) है |आपका जन्म १० अगस्त १९३० में हुआ है  |आप अपने पिता की चौथी पुत्र संतान हैं |लेकिन दुर्भाग्यवश श्री गुलाबचंद जी की असमय मृत्यु होने से उनके परिवार के सामने जब गंभीर संकट उत्पन्न हो गया तब ऐसी विषम परिस्थिति में उनके मामाजी सांतउ निवासी श्रीमान सुखलाल जी पहाड़िया ने जो तत्समय ग्वालियर में निवास करते थे ,उन्हें आश्रय और संरक्षण प्रदान किया |फलतः छः वर्ष की आयु  में ही आप ग्वालियर आ गए जहाँ मामाजी श्रीमान सुखलाल जी के सानिध्य में उनका लालन -पालन हुआ |आपकी शिक्षा -दीक्षा ग्वालियर में ही हुई |आपने वाणिज्य संकाय में स्नातक किया और हायर डिप्लोमा इन को-ऑपरेशन की उपाधि प्राप्त की |
                                  ई.१९५० में करहिया निवासी कुम्हरिया गौत्रीय चौधरी रकसलाल जी की सुपुत्री शांतिबाई जैन के साथ आपका विवाह संपन्न हुआ |आपका वैवाहिक जीवन काफी सुखमय व्यतीत हुआ |आपके दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं |
                               १९ फरवरी १९५४ में आप बैंकिंग सेवा में चयनित हुए |अपनी सेवावधि में आपने जनसामान्य की पूरी निष्ठाभाव के साथ सेवा की |अपनी कर्तव्यपरायणता ,लगनशीलता और ईमानदारी के कारण बैंकिंग क्षेत्र में आपको काफी सम्मान और सराहना मिली |९ मई १९९० को आप प्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुए |
                              सेवा में रहते हुए और सेवानिवृत्ति के बाद आप समाजसेवा के लिए प्राणपण से समर्पित हैं |८६ वर्ष की अवस्था में भी अपने खराब स्वास्थ्य के बावजूद आप देशाटन और तीर्थभ्रमण के लिए तत्पर रहते हैं |ग्वालियर अंचल में जैन समाज की प्रायः हर गतिविधि में आपकी संलग्नता रहती है |आप जुनून की हद तक समाजसेवा के लिए प्रस्तुत रहते हैं |आपका गहरा जीवनानुभव और उत्कृष्ट चिंतन सहज ही लोगों को अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है |
                                   आपने वर्ष २००५ में ग्वालियर में आयोजित अखिल जैन समाज के वैवाहिक परिचय सम्मलेन के अवसर पर प्रकाशित स्मारिका के संपादक के रूप में महत्वपूर्ण बौद्धिक योगदान दिया और उसके अनुसचिवीय दायित्व का कुशलतापूर्वक निष्पादन किया |वर्ष १९७३ -७४ श्री दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र सोनागिर की प्रबंधकारिणी समिति के कतिपय पदाधिकारियों ने कार्यसमिति को विश्वास में लिए बिना जब गोपनीय ढंग से ट्रस्ट का गठन कर उसमें यह प्रावधान कर लिया था कि किसी न्यासी का स्थान रिक्त होने पर उसके उत्तराधिकारी को नामित किया जावेगा लेकिन ज्यों ही यह तथ्य श्री शीतल प्रसाद जी के संज्ञान में आया उन्होंने इसका पुरजोर विरोध किया और उस 'निजी 'न्यास को निरस्त कराने के लिए चले अभियान के आप सूत्रधार बने और अंततः उसमे सफलता प्राप्त की|
                               जैन समाज की दर्जनों संस्थाओं और संस्थानों से आप संबद्ध रहे हैं |ग्वालियर अंचल की प्रायः हर गतिविधि में आपकी सक्रिय संलग्नता रही है जिनकी सूची काफी विस्तृत और लंबी-चौड़ी है |आपको दर्जनों अभिनन्दन-पत्र,पारितोषक ,स्मृति-चिन्ह और सम्मान प्राप्त हुए हैं |आपने अखिल भारतीय दिगंबर जैन वरहिया महासभा के महामंत्री पद को सुशोभित किया है और अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन परिषद की कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में लंबे समय तक जुड़े रहे हैं ||दिगंबर जैन मुमुक्षु मंडल को ग्वालियर अंचल में आपने नई ऊंचाईओं तक पंहुचाया है |वरहिया जैन समाज आप जैसे युवा-बुजुर्ग के मार्गदर्शन का अभिलषित हैं |

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