शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2022

अंतर्जातीय विवाह

 वरहिया समाज में अन्तर्जातीय विवाह के मामलों में हाल के दिनों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि हमारी पढ़ी-लिखी लड़कियां तो अपेक्षाकृत अच्छी सामाजिक स्थिति वाले परिवारों में ब्याह रही हैं लेकिन लड़कों के लिए बहुएं हीनतर सामाजिक स्थिति वाले समुदायों और परिवारों से मेनेज करके लानी पड़ रही हैं।यह बड़ी दु:खद और विकट स्थिति है।इस सबके बावजूद आज भी बहुतेरे ऐसे हैं जो अपने लड़कों के विवाह की फ़िक्र में बूढ़े हुए जा रहे हैं।'महोजनो येन गत:स पंथा' यह लोकप्रसिद्ध है। वरिष्ठ जनों को लोग अपना आदर्श मानते हैं और वे उन्हीं के अनुसरित मार्ग का अनुगमन करते हैं। इसलिए वरिष्ठजन समाज में आदर्श प्रस्तुत करें और वर्जनीय क्रियाकलापों से विमुख रहें, ऐसी अपेक्षा करना गलत नहीं होगा। क्योंकि लोग एक दूसरे का उदाहरण देकर अपनी गलतियों को जस्टिफाई करते हैं । प्रगतिशीलता और ब्राडमाइंडेडनेस का हवाला देकर कुछ लोग तो कुछ भी कर गुजरने से गुरेज नहीं करते। अपनी क्रांतिदूत वाली छवि पर मुग्ध होते हुए खुद ही अपनी पीठ थपथपाते रहते हैं। यही सूरतेहाल रहा तो समाज के अस्तित्व पर संकट खड़ा होना निश्चित है। सजातीय वर-वधू को प्राथमिकता मिलना चाहिए। विवाह के लिए लड़के लड़कियों की प्राथमिकता सूची में नौकरीपेशा के साथ ही व्यापारी वर्ग को भी तरजीह मिलना चाहिए। दूसरों पर आर्थिक रूप से निर्भर सर्विस मेन से दूसरों को नौकरी या रोजगार देने में सक्षम व्यापारिक पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति कमतर नहीं होता।विरल स्थिति में ही विजातीय जैन समाज के वरवधू का विकल्प चुनना चाहिए। जड़ों से कटकर चीजें बेजान हो जाती हैं। प्रगतिशीलता की आधुनिकता की बयार में उड़ रहे और गर्द में हिचकोले खा रहे ,जड़ों से कटे लोगों से जमीन से दूर होने का दर्द पूछिए। वे भले ही कुछ न बताएं लेकिन उनका मौन उनकी पीड़ा को बयान कर देगा।यह चमन उजड़ने ने न पाए,यह नैतिक जिम्मेदारी उसके सुयोग्य मालियों की है। इसलिए आप सुधीजन विचार करें कि पंचकल्याणक महोत्सव, धार्मिक विधान- अनुष्ठान, मंदिर निर्माण आदि हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए या समाज का सुदृढ़ीकरण 🤔

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