वरहिया समाज में विवाह सम्बन्धी विवादों के दर्जनों मामले लंबे समय से अनसुलझे पड़े हैं। दोनों पक्षों के लिए कष्टदायक होने के बावजूद दोनों पक्षों का अंहकार उनके बीच रिश्तों में कड़वाहट घोलता रहता है जो उनके किसी समझौते तक पहुंचने में सबसे बड़ी बाधा है। दोनों पक्ष यदि विवेक और संयम से काम लें तो किसी मान्य समाधान तक पहुंचने में ज्यादा कठिनाई नहीं होगी। इनमें से कुछ मामले तो न्यायालय में लंबित हैं और कुछ मामलों में द्विपक्षीय रिश्तों में ठंडेपन के कारण गतिरोध बना हुआ है। इनमे से किसी मामले लड़का पक्ष की गलती है तो किसी मामले में लड़की पक्ष की ज्यादती है। लेकिन ज्यादातर मामलों में लड़के और लड़की के बीच आपसी गलतफहमी, छोटे मोटे आरोप -प्रत्यारोप नासमझी के कारण इतने तनावपूर्ण हो जाते हैं कि उनके मधुर रिश्तों में दरार पड़ जाती है जो उनके बीच अलगाव पैदा करती है।इसी स्थिति-परिस्थिति में विच्छेद की पृष्ठभूमि तैयार होती है। लेकिन मामले के तथ्यों को चाहे कितना तोड़ा-मरोड़ा जाए,मोटी सच्चाई समाज के लोगों के सामने आ ही जाती है। ऐसे में समाज के वरिष्ठ जनों की नैतिक जिम्मेदारी है वे ऐसे मामलों में अपने सामाजिक प्रभाव का उपयोग कर उनके समाधान के लिए यथासंभव प्रयास करें। शादी-विवाह तिजारत नहीं है इसलिए किसी भी पक्ष को सौदेबाजी करके अनुचित लाभ लेने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।हम सभी वरहिया जन एक परिवार हैं। इसलिए हमें समाज को एकजुट रखने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। समारोहजीवी समाज के धुरंधर नेताओं से यही मेरी विनम्र प्रार्थना है।
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