रविवार, 15 जनवरी 2023

लंबेचू जैन


  परंपरा से दिगंबर जैन समाज में 84 जातियां मानी गईं हैं।लंबेचू जाति इन्हीं में से एक है।ये यदुवंशी क्षत्रिय हैं। जो लंबकंचुक यानी तारों से गुंथा हुआ लंबा चोगा या अंगरखा जो एक प्रकार का कवच था,युद्ध में धारण करने के कारण लंबकंचुक नाम से विख्यात हुए हैं।लंबेचू शब्द लंबकंचुक का अपभ्रंश है।लंबेचू कृष्णवंशी हैं जिनका गौरवशाली अतीत है।इसी वंश में राजा लोमकर्ण या लम्बकर्ण हुए हैं जो लंबकांचन( गुजरात और राजस्थान के संधिप्रदेश में)देश के अधिपति थे। उनके वंशज होने के कारण भी यह वंश लंबेचू या लम्बकञ्चुक नाम से प्रसिद्ध हुआ।मतांतर से लंबेचू शब्द को लंबेचुहान से व्युत्पन्न मानकर चौहान क्षत्रियों से उनकी निकटता स्थापित की गई है। चौहानों और लंबेचुओ के निवास स्थान और गोत्रादि में किंचित साम्य से यह मत उचित जान पड़ता है। चौहान क्षत्रिय भी यदुवंशी हैं।इस प्रकार लंबेचू जैन क्षत्रिय हैं,यह बात असंदिग्ध रूप से स्थापित है।यह जाति काफी प्राचीन है। संवत् 142 में भद्दलपुर पट्ट के पट्टाधीश लोहाचार्य इसी समुदाय से थे।
      शौरीपुर(शौर्यपुर)/बटेश्वर के आस-पास लम्बकञ्चुक (लंबेचू) समाज  की बहुलता है। यह क्षेत्र लंबेचू समाज की देखरेख में है। शौरीपुर वटेश्वरके आस-पास जितने ग्राम हैं, वहां  लँबेचुओं के अनेक परिवार निवास करते हैं।इसी के पास  स्थित कचोराघाट ,जसवन्तनगर,सिरसागंज,खुरई,अटेर ,इटावा,वकेवर,करहल, भिंड में लंबेचू समाज के बड़ी संख्या में लोग रहते हैं।
लंबकांचन के शासक राजा लोमकर्ण जो लंबेचुओं के पूर्वपुरुष माने गए हैं,के बारह पुत्र हुए थे। उनसे ही इनके बारह गोत्र निकले हैं जो इस प्रकार हैं -

 1.सोनी ,2.बजाज, 3.रपरिया, 4. चंदवरिया ,5. राउत,,6..वकेवरिया, 7.मुजवार ,8.सोहाने, 9.चौसठथारी, 10.बरोलिहा, 11. पचोलये ,12.कुंअरभरये, ये बारह गोत्र प्रसिद्ध हुए। इनमें से प्रत्येक गोत्र सात उपगोत्रों में विभिजित हुआ जो सत्ता ( सप्तक यानी सात का समूह) कहलाया।
 
(1)-पहला सत्ता, सोनी गोत्र के सोनपाल जी से  चला।  
1. सोनी, 2. संघी, 3.पोद्दार, 4. चौधरी, 5. तिहैया, 6.मोदी, 7.कोठीवाल । यह पहला सत्ता(सप्तक) हुआ।  
यह नामकरण उनके पुत्रों के नाम, पदवी,व्यवसाय या निवास स्थान के आधार पर हुआ है।

(2)-दूसरा सत्ता ,बजाज गोत्र के श्री वीरसहाय से चला -
1. बजाज,2.  पटवारी, 3.गोहदिया, 4. मुड़हा, 5. वड़ोघर, 6.सेठिया, 7. तीनमुनैय्या ।

(3)-तीसरा सत्ता, रपरिया गोत्र के रतनपाल जी से चला -
1. कुदरा,2.अरमाल, 3. रुखारुवे, 4.शंखा,5. कसाहव ,6.(मानी)कानीगोह,7. सुहाभरे ।

(4)-चौथा सत्ता ,चंदवरिया गोत्र के  श्री चन्द्रमणि (चन्द्रसेन ) से प्रवर्तित हुआ-
 1.चन्दवरिया, 2. काकरभत्तले ,3. भत्तले,4. सागर,5. कसोलिहा ,6.असैय्या,7.वित्तिया ।

(5)-पाँचवां सत्ता ,राउत गोत्र के श्री जगसाह से प्रवर्तित हुआ।
1. राउत,2.भुंसीपादा,3.बावउतारू, 4.गगरहागा, 5. जीठ, 6. गुरहा, 7. पिलखनिया ।

(6)-छठवां सत्ता ,वकेवरिया गोत्र के श्री दीपचन्द्र जी चला। 1.वकेवरिया,2. गुजोहुनिया,3. गुझोनिया  जमेवरिया, 4. देमरा,5.माहोसाहू, 6.टंटे बाबू,7.जमसरिया।

(7)-सातवां सत्ता,मुंजवार गोत्र के  श्री मानपाल जी से चला -
1. मुंजवार,2. मेहदोले, 3.जखनिया ,4. छेढ़िया, 5.त्रेतरवाल, 6. दीदवाउरे ,7.दुधइया।

(8)-आठवां सत्ता,सोहाने गोत्र के श्री हरीकरण जी से प्रवर्तित हुआ।
1.सोहाने ,2.कोहला ,3.भजरोले ,4.कुर्कुटे,5.पडुकुलिया ,6. भण्डारी,7. जैतपुरिया ।

(9)-नोवां सत्ता,चोसठिथारी गोत्र के श्री चंपतराय जी से चला-
1.चोसठिथारी,2. कचरोलिया, 3.हिम्मतपुरिया ,4. बुढ़ेले, 5. हरोलिया ,6.बघेले ,7.इंदरोलिया ।

(10)-दशवां सत्ता,वरोलिया गोत्र के श्री मधुकरसाह से चला-
1. वरोलिया,2. वेदबावरे,3.रुहिया ,4.घिया,5. विलगइया ,6. कारे,7. शतफरिया ।

(11)-ग्यारहवां सत्ता,पचोलये गोत्र के श्री पीताम्बर दास जी से प्रवर्तित हुआ।
1. पचोलये,2. उड़दिया ,3.वैमर, 4.कालिहा ,5. मुरैय्या, 6.भण्डारिया 7.इटोदिया ।

(12)-बारहवां सत्ता,कुंवरभरये गोत्र के श्री गुमानराय जी से चला।
1. कुंअरभरये ,2.तिलोनिया ,3.सलेरिया 4.हरसोलिया ,5. सिंघी,6. पुरा 7.मझोने।

गोत्र और उपगोत्रों के भेद अलल कहलाते हैं और इस प्रकार लंबेचुओं में 84 अलल हैं जो इस प्रकार हैं-

1.चौधरी ,2. तिहइया,3. चन्दोरिया,4. वजाज ,5.संघई,6. कानूनगो, 7.पोद्दार,8.मोदी,9.कोठीवार, 10.रपरिया,11. वकेवरिया,12. पटवारी,13. पचोलये,14. राउत, 15.गोहदिया, 16. मुढ़ैया,17. कुंअरभरये ,18. मुजवार, 19. चोसठिथारी ,20. बड़ोघर,21. सेठिया,22. तीनमुनैया ,23. कुदरा ,24. भुसीपद, 25. बावतारू ,26.गगरहागा,27. रूखारुये,28. सुहाने ,29. शंखा,30. कांकरभत्तेले, 31. बरोलिया,32. मत्तले, 33. असइया 34.बित्तिया ,35. छेड़िया, 36. पिलखनिया,37. जीट ,38.गुझोनिया ,39.गुरहा, 40. माहोसाहू ,41. टाटेबाबू, 42.कोलिहा 43. जखेमिहा, 44.हरोलिया ,45. दीद बावरे ,46. जेतपुरिया,47. रुहिया ,48. मुरहइया ,49. वघेला ,50.वलगैय्या, 51. सलरैय्या, 52 कोलिहा ,53 देमरा, 54. गगरहागा,55. हिंडालिहा ,56 सिंहीपुरा ।यह छप्पन अलल तो  मौजूद हैं। लेकिन इनके अलावा 28 अलल लुप्त हो गए हैं।

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