गुरुवार, 28 दिसंबर 2023

क्यों?


 क्यों समाज में दिखते ,कुछ ही चेहरे हैं।
एक जगह क्यों हम ,बरसों से ठहरे हैं।।
 

सुनकर भी अनसुना कर रहे प्रश्नों को
जानबूझकर बने हुए क्यों बहरे हैं।।


 यह सवाल उठता है बरबस ही मन में,
कुछ सर पर ही  सजते क्यों ये सेहरे हैं।
 

कुछ कहने की गुस्ताखी करने पर ,ये
बैठा देते उस पर सौ-सौ पहरे हैं।


क्यों समाज में दिखते, कुछ ही चेहरे हैं
एक जगह क्यों हम ,बरसों से ठहरे हैं।।

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