मंगलवार, 28 नवंबर 2023

पीढ़ी अंतराल


 युवा और बुजुर्ग पीढ़ी की सोच में प्रायः अंतर्विरोध रहता हैं जिसके कारण उनके बीच वैचारिक स्तर पर टकराव होता है।इस टकराव की वजह पीढ़ी अंतराल या जनरेशन गैप को माना जाता है। लोगों की सोच अपने समय के साथ-साथ बढ़ती और बदलती है। समय के साथ तेजी से हो रहे तकनीकी विकास के कारण सामाजिक,आर्थिक, राजनीतिक पटल पर अनेक तरह के बदलाव लक्षित होते हैं जिनका हमारी जीवनशैली पर गहरा प्रभाव पड़ता है।इस समस्या से सभी को दो-चार होना पड़ता है। यह समस्या पहले भी थी लेकिन अब इसकी जटिलता अधिक बढ़ गई है। क्योंकि तेजी से हो रहे तकनीकी बदलाव से लोगों का जीने का ढब बदल रहा है।जीवन मूल्यों के बारे में हमारी सोच बदल रही है।जो बातें पहले सही नहीं समझी जाती थीं, उन्हें अब उस रूप में वर्जनीय नहीं समझा जाता।यह सोच में आए बदलाव का ही परिणाम है।जो लोग अपनी सामाजिक मूल्यगत मान्यताओं के प्रति आग्रहशील होते हैं और कोई समझौता नहीं करना चाहते,उनके साथ उनकी युवा पीढ़ी को व्यावहारिक स्तर पर समायोजन करने में ज्यादा कठिनाई होती है। जिसका स्फोट कभी-कभी विद्रोह के रूप में होता है, जो उनके बीच तनाव पैदा करता है। बुजुर्गों की सोच अपने पूर्वाग्रहों के कारण इन सामयिक बदलावों से अधिक प्रभावित नहीं होती लेकिन युवा पीढ़ी पर पूर्वाग्रहमुक्त होने के कारण इन बदलावों का गहरा और स्थायी प्रभाव पड़ता है। जिससे  जीवन के बारे में उनका पूरा दृष्टिकोण बदल जाता है। इसलिए बुजुर्गों की सोच के साथ सहमत होने में स्वाभाविक रूप से उन्हें कठिनाई होती है। लेकिन जो लोग अपने दृष्टिकोण में लचीलापन रखते हैं,वे यह समायोजन बैठा लेते हैं । इसलिए दृष्टिकोण में लचीलापन ही इस अंतराल या गैप को भरने में सबसे मददगार टूल है। दोनों ही पीढ़ियों को अपनी सोच में यह लचीलापन लाना होगा तभी उनके बीच सामंजस्य बैठ पाएगा क्योंकि एक पहिए की गाड़ी में संतुलन करना बहुत कठिन होता है।
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